उत्तर प्रदेश में मायावती के खिलाफ कुछ कहना, वो भी तब जब माया मैडम ख़ुद सूबे की मुखिया हों, बर्रे के छत्ते में हाथ डाल देने जैसा है। लेकिन लगता है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी इस बात को ठीक-ठीक नहीं समझतीं। शायद पिछली कई घटनाओं से भी उन्होंने कुछ सीख नहीं ली। चाहे वो हाल में हुए वरुण गाँधी का मुद्दा रहा हो या फिर लखनऊ का बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड। मायावती के राज़ में मायावती के खिलाफ "कुछ भी" कहना-सुनना या करना इतना आसान नहीं। इलाहाबाद से आने वालीं रीता शायद इलाहाबाद के ही बाहुबली सांसद अतीक अहमद की दुर्गति को भी भूल गई हैं, जो गेस्ट हाउस कांड में शामिल होने का खामियाजा अभी तक भुगत रहे हैं। उन्हें शायद ये भी ख्याल नहीं रहा कि माया मैडम उस वर्ग से आती हैं, जिसके खिलाफ बोलने का मतलब एससी-एसटी एक्ट के तहत सीधे सात साल की जेल की हवा खाना है। लेकिन रीता भी शायद "कुछ कर गुजरने" के मूड में नज़र आ रही हैं। इसीलिए तो उन्होंने सीधे मायावती से पंगा ले लिया। बता दें कि रीता बहुगुणा जोशी ने मुरादाबाद में महिला कांग्रेस की एक जनसभा के दौरान मायावती के खिलाफ कुछ ऐसे शब्द कहे जो बर्दाश्त के काबिल तो कतई नहीं है। हालाँकि किसी की बहू-बेटी के बलात्कार के मुद्दे पर किसी का भी खून खौल सकता है, लेकिन सवाल ये उठता है कि रीता को ये सब करने की ज़रूरत क्या थी ? क्या रीता ये सब भावावेश में बोल गईं, या फिर ऐसे शब्द बोलकर वो महज राजनीतिक माइलेज लेने की फिराक में थीं। फिलहाल मामला जो भी हो, लेकिन रीता के लिए आने वाले दिन निश्चित तौर पर मुश्किल भरे होंगे। वो इसलिए क्योंकि सूबे का बच्चा-बच्चा इस बात को बखूबी जानता है कि जल में रहकर मगर से बैर भले ही कर लो, लेकिन यूपी में रहकर माया मैडम से बैर "जानलेवा" ही होगा।
Thursday, July 16, 2009
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1 comment:
rajnitik mielage bahut khoob kahi..
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