Monday, July 13, 2009

"ऐसे" दोस्तों को घर न बुलाना...!

बात अभी कोई हफ्ते भर पहले की है। मैं इलाहाबाद गया था। घर वालों से मिलने-मिलाने। काफ़ी हाउस में कुछ पत्रकार साथियों के साथ बैठा था कि दिल्ली के एक पत्रकार मित्र का फोन आया। साहब ने छूटते ही पूछा- कहाँ घूम रहे हो ? कहाँ "बकैती" (खालिस इलाहाबादी शब्द) हो रही है ? मैंने हाल-चाल पूछा तो पता चला कि साहब इलाहाबाद पधारे हैं, अपनी ससुराल। एक-दो दिन ठहरेंगे। मेरे घर आकर मिलने कि ख्वाहिश जाहिर की तो मैंने झट उन्हें घर आने का न्योता दे दिया (मुझे क्या पता था मैंने एक गलती कर दी)। शाम को साहब मेरे घर पधारे। साथ में उनकी नवविवाहिता पत्नी भी थीं। पत्नी संग आने वाले मित्रों के आने पर "मैडम" भी खुश हो जाती हैं। सो, वह मेहमान की आवभगत में जुट गईं। मम्मी दूसरे कमरे में थीं, वो भी आकर बैठ गयीं। बातचीत शुरू हुई तो फिर रोकता कौन ! मित्र महोदय भी बकबक में अव्वल दर्जे के उस्ताद। एक बार बोलने लगते हैं तो अच्छा-बुरा का भला ख्याल कहाँ ? मेरे घर आए थे तो मेरी ही बात छेड़ दी। कहने लगे- "उस दिन इनके मोबाइल पर फोन किया तो भइया 'ऑ'-'ऑ' करके बतिया रहे थे। उनकी पत्नी ने बगल में कोहनी मारी। वो समझ गई थीं कि उनके पति मेरे मुंह में गुटखा भरा होने की तरफ़ इशारा कर रहे हैं। लेकिन भाई साहब चुप कहाँ होने वाले थे। उन्होंने स्पष्ट कर ही दिया कि मैं गुटखा खाता हूँ। पत्नी के दो-तीन बार ठुनकी मारने के बाद भी उन्होंने अपनी बात पूरी करके ही दम लिया। मेरी मम्मी सब कुछ सुन रही थीं और मेरी स्थिति देखने लायक थी। मैं बगली झांक रहा था। मेरी पत्नी हालात को बखूबी समझ गई थी। माँ के सामने गुटखे की लत का रहस्योद्घाटन किसी भी मध्यम वर्गीय परिवार के लड़के को थोड़ा शर्मिंदा तो करेगा ही। मेरी पत्नी ने ही आखिरकार मेरी शर्मिंदगी का हल निकाला। किसी तरह विषयांतर किया तो मैं थोड़ा सहज हुआ। बात की दिशा बदल गई लेकिन मैंने एक सीख ले ली। कभी किसी चू *** टाइप के (उन मित्र महोदय से माफ़ी मांगते हुए) दोस्तों को घर बुलाने के पहले सौ बार सोच लेना चाहिए... या फिर उन्हें कुछ ज़रूरी निर्देश पहले ही दे देना चाहिए। आख़िर अपनी इज्ज़त अपने हाथ...!

2 comments:

Taarkeshwar Giri said...

bahut aachha likha hai MR Abhinav Apne, maja aagaya padh kar ke, main bhi yese CHUTION se bada pareshan rahata hun, mere sath hi drink karte hain aur mere hi ghar main aa kar ke sara buk detain hai.
Pl read My Blog : www.taarkeshwargiri.blogspot.com

उन्मुक्त said...

मेरे विचार में इसका आसान सा हल है - गुटका खाना छोड़िये। यह स्वास्थ के लिये हानिकारक है।

कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।

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