Saturday, June 27, 2009

"लकवामार लौकी"...और मैं भूखा !

उस रोज़ टीवी पर उस चैनल की "सबसे बड़ी ख़बर" चल रही थी। जी हाँ, सबसे बड़ी ख़बर। वही ख़बर जो आजकल खूब बिक रही है... जी हाँ, खाने के सामान में मिलावट की खबरें। और बिके भी क्यूँ ना ? ऐसे-ऐसे नाम से खबरें सामने आती हैं कि दर्शक बेचारा जाएगा कहाँ ? तो बात हो रही थी उस दिन की। "खून चूसने वाला जूस", "खतरनाक दूध", "बेशर्म बेसन" और "लकवामार लौकी " की खबरें कायदे का रायता फैला चुकी थीं। न्यूज़ रूम में हर तरफ़ से आवाज़ आ रही थी कि "चल जाएगा", "दे देगा", "इस हफ्ते टीआरपी आने दो..." । प्रोग्राम प्रोड्यूसर की बाछें खिली हुईं थीं। बॉस भी खुश नज़र आ रहे थे। एक के बाद एक पैकेज रन डाउन पर चिपकते जा रहे थे और स्क्रीन पे नज़र आते जा रहे थे। "बेशर्म बेसन" और "लकवामार लौकी" अपना कमाल दिखा रहे थे। सभी को उम्मीद थी कि इस हफ्ते ये "शो" हिट जाएगा। प्रोग्राम अभी ऑन-एयर ही था कि एक दोस्त का मैसेज आया। "यार ऑफिस की कैंटीन में लौकी की सब्जी बनी हुई है। मन बेचैन हो उठा। नज़र मोबाईल पे आए उस मैसेज पर थी और दिमाग लकवा मारने वाली लौकी के इर्द-गिर्द घूम रहा था। न किसी से कुछ कहते बन रहा था, न सुनते। मन मसोस कर रह गया। घर जाकर भूखे पेट ही सोना पड़ा। बार-बार एक ही सवाल कौंध रहा था। सवाल बड़ा था- दर्शकों के दिलो-दिमाग में आख़िर क्या चल रहा होगा...!!!!!

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