पिछले कई महीनों से तालिबान, पाकिस्तान, बैतुल्लाह और इनकी ख़बरों में इस कदर उलझा रहा कि कुछ और लिखने पढ़ने का मन ही नही किया। या फिर यूँ कहे कि टीवी पर इतनी बकवास लिख लेने के बाद मैं कुछ और लिखने पढ़ने के लायक ही नही बचता था। घर जाता तो बिस्तर पर यूँ गिरता जैसे अब हफ्तों उठने की हिम्मत न होगी। इस बीच जब कभी भी एक-दो मिनट के लिए भी ब्लॉग की दुनिया में घुसा, तमाम साथियों और उनके काम को देख कर जी मचल उठा। हर बार मन किया कि एक-दो दिन में कुछ लिखूं। लेकिन फिर वही... सन्नाटा। हाँ, इस बीच कुछ ब्लॉगर साथियों के मैसेज भी आए, "शिकायती। हाल-चाल लेने के अलावा सभी ने ब्लॉग से मुंह मोड़ने का कारण भी पूछा। लेकिन क्या कहता... बस यही कह के रह गया कि जल्द ही कुछ लिखूंगा। खैर, मैं दोस्तों के बीच वापस आ गया हूँ। कुछ लिख पाऊंगा या नहीं ये तो बाद की बात है... लेकिन ब्लॉग जगत में कम से कम जो कुछ अच्छा हो रहा है, उसे देख-पढ़ और सीख पाने की कोशिश ज़रूर करूँगा...
आपका साथी,
अभिनव आदित्य
Saturday, June 27, 2009
शायद कुछ लिख पाऊँ...!
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